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Channel: Sanskrit Subhashitas
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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

अनन्त  शास्त्रं  बहुलाश्च  विद्या                        स्वल्पश्च   कालो  बहुविघ्नता  च  |यत्सारभूतं  तदुपासनीयां                         हंसो  यथा  क्षीरमिवाम्बुमध्यात्    ||...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

तद्भोजनं  यद्विजभुक्त  शेषं          तत्सौहृदं  यत्क्रियते  परस्मिन्  |सा  प्राज्ञता  या  न  करोति  पापं          दम्भं  विना  यः  क्रियते  स  धर्मः  ||                         -  चाणक्य नीति (१५/८...

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आज का सुभाषित / Today's Aubhashita.

 गुणैः  सर्वज्ञतुल्योSपि  सीदत्येको  निराश्रयः  |अनर्घ्यमपि   माणिक्यं  हेमाश्रयमपेक्षते         ||                                  /चाणक्य नीति (१६ /१०)भावार्थ  -      एक सर्वगुणसंपन्न  व्यक्ति  के...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

अलिरयं  नलिनीदलमध्यगः              कमलिनीमकरन्दमदालसः  |विधिवशात्परदेशमुपागतः                   कुजटपुष्परसं  बहुमन्यते     || - चाणक्यनीति                                                भावार्थ -...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

प्रियवाक्यप्रदानेन  सर्वे  तुष्यन्ति  जन्तवः  |तस्मात्तदेव  वक्तव्यं  वचने  का  दरिद्रता   ||                             - चाणक्य नीति (१६/१३ )भावार्थ -       यदि अन्य व्यक्तियों से  प्रिय लगने...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

परैरुक्तगुणो  यस्तु  निर्गुणोSपि  गुणी  भवेत्  |इन्द्रोSपि  लघुतां  याति  स्वयं  प्रख्यापितैर्गुणै: ||                                    - चाणक्य नीति (१६/८)भावार्थ -  यदि  अन्य लोग किसी  व्यक्ति  को...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

वरं  प्राणपरित्यागो   मानभङ्गेन   जीवनात्   |प्राणत्यागे  क्षणं दुःखं   मानभङ्गे  दिने  दिने  ||                                - चाणक्य नीति (१६/१५ )भावार्थ -    मानभङ्ग्  (अपमानित ) होने पर भी जीवित...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

पुस्तकस्था तु  या  विद्या  परहस्त  गतं  धनं  |कार्यकाले समुत्पन्ने  न सा विद्या न तद्धनम्  ||                                - चाणक्य नीति (१६/२० )भावार्थ =  पुस्तकों में  वर्णित  विद्या  तथा  अन्य...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

अशक्तस्तु   भवेत्साधुर्ब्रह्मचारी  वा  निर्धनः   |व्याधितो  देवभक्तश्च  वृद्धा  नारी  पतिव्रता     ||                                   - चाणक्य नीति (१७/६ )भावार्थ -   अशक्त व्यक्ति या तो साधु या...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

दानेन  पाणिर्न  तु  कङ्कणेन                        स्नानेन शुद्धिर्न  तु  चन्दनेन  |मानेन  तुष्तिर्न  तु  भोजनेन                        ज्ञानेन  मुक्तिर्न  तु  मुण्डनेन  ||...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

तक्षकस्य  विषं  दन्ते  मक्षिकायास्तु  मस्तके  |वृश्चिकस्य  विषं  पुच्छे  सर्वाङ्गे  दुर्जने  विषम  ||                                     - चाणक्य नीति (१७/८ )भावार्थ -   एक  विषेले  सर्प  का विष उस के...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita..

परोपकरणं  येषां  जागर्ति  हृद्ये  सताम्     |नश्यन्ति  विपदस्तेषां  संपदः  स्यु  पदे पदे ||                           - चाणक्य नीति (१७/१५ )भावार्थ -   जिन  सज्जन व्यक्तियों के हृदय  में परोपकारकी...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita

आहारनिद्राभय  मैथुनानि              समानि  चैतानि  नृणां  पशूनाम्  |ज्ञानं  नराणामधिको  विशेषो               ज्ञानेन  हीनाः  पशुभिः समाना    ||                            -  चाणक्य नीति (१७/१७)भावार्थ...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

राजा  वेश्या  यमश्चाग्निस्तकरो  बालयाचकौ  |परदुःखं  न  जानन्ति  अष्टमो  ग्रामकण्टकः    ||                                 - चाणक्य नीति (१७/१९ )भावार्थ  -     राजा,  वेश्या , यमराज (मृत्यु का देवता) ,...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

व्यालाश्रयापि  विकलापि  सकण्टकापिवक्रापि  पङ्किलभवापि  दुरासदापि         |गन्धेन  बन्धुरसि  केतकि  सर्वजन्ता-रेको  गुणः खलु  निहन्ति  समस्त दोषान्  ||                          - चाणक्य नीति (१७/२१...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

यस्य  कृत्यं  न  जानन्ति  मन्त्रं  वा  मन्त्रितं  परे  |कृतमेवास्य  जानन्ति  स  वै  पण्डित  उच्यते       ||                                    - महाभारत (विदुर नीति )भावार्थ -  जिस व्यक्ति द्वारा...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

क्षिप्रं  विजानाति  चिरं  शृणोति         विज्ञाय  चार्थं भजते न कामात |ना  संपृष्टो  व्युपयुङ्क्ते   परार्थे         तत्  प्रज्ञानं  प्रथमं  पण्डितस्य  ||  -विदुर नीतिभावार्थ =  जो व्यक्ति उस से कही...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

अमित्रं कुरुते मित्रं मित्रं द्वेष्टि हिनस्ति  च |कर्म चारभते  दुष्टं  तमाहुर्मूढचेतसम्        ||                                              -  विदुर नीतिभावार्थ  -   जो व्यक्ति  मित्र बनाने के लिये...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

अनाहूतः  प्रविशति  अपृष्टो  बहु  भाषते  |अविश्वस्ते  विश्वसति मूढचेता  नराधमः ||                                           -  विदुर नीति भावार्थ -         जो व्यक्ति बिना  बुलाये  आ धमके औरकुछ कहने की...

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आज का सुभाषित / Today's Subhashita.

ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  |परभाग्योपजीवी  च  षडेते  नित्य  दुःखिता            ||                                                        -  विदुर नीतिभावार्थ -   अन्य...

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